Tuesday 16 January 2018

Redmi 4a

Redmi 4a 

Monday 4 December 2017

Sunday 30 April 2017

एक अच्छी दिनचर्या स्वस्थ रहने के लिए!

दोस्तों आज हम बात करने जा रहे है आयुर्वेदिक दिनचर्या के बारे में आप तो जानते ही होंगे आज कल हमारी संस्कृति दिन पे दिन बदलती जा रही है! और आज कल के लोग पहले के लोगो के मुकाबले काफी अस्वस्थ रहते है! क्यों आपने कभी सोचा है नहीं क्योकि हमारी दिनचर्या बिलकुल ठीक नहीं है! अगर हम आयुर्वेद के अनुसार हम अपनी दिनचर्या कर ले तो हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते है! पर हम अपनी प्राचीन काल से चलती आ रही आयुर्वेद को भूलते जा रहे है! अगर हम आयुर्वेदिक दिनचर्या के अनुसार चले तो हमें बहुत लाभ मिलेगा! और हम रोग मुक्त होंगे!
आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या!
आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या इन कालो में अनुरूप होनी चाहिए! प्राचीन काल से चलते आ रहे ऋषि परंपरा के अनुसार स्वस्थ लाभ पाने के लिए हमें रात्रि के 14 वे  हिस्से में उठ जाना चाहिए! यह समय सूर्यास्त के 2 घंटे पहले होता है! आयुर्वेद के अनुसार 4-5 बजे उठना व्यक्ति के लिए बहुत ज्यादा अच्छा होता है! इस समय शौच और योग अभ्यास, व्यायाम अथवा गति मई क्रिया के लिए उचित समय है!
- प्रातः जागरण:
सूर्योदय
सुबह-सुबह हमें घर की चार दीवारी से निकल कर सुबह की वायु को फेफड़ो में भरना चाहिए! इस समय वातावरण में सत्व गुण प्राप्त होता है! इस समय वायु में ताजा हवा और ऊर्जा भरी होती है! और सुबह की प्राकृति का दर्शन करना, सूर्योदय का दर्शन करना और सूर्ये देव की लालिमा को जल देना काफी लाभकारी है! इससे इंफ़्रा-रेड किरणे जस्प होती है जिससे अनेक प्रकार के रोगो की समाप्ति होती है!

- विसर्जन: 
उसके बाद जल या त्रिफला का सेवन कर मल विसर्जन कर लेना चाहिए! क्योकि ये समय सबसे अच्छा होता है! रोजाना करने से यह एक नियम बन जाएगा एवं फिर खुद ही सुबह पेट साफ़ होने लगेगा! और बहुत से रोग अपने आप ही आपसे दूर भाग जाएंगे!
- मुख शुद्धिकरण: 
मुख की सफाई के लिए सबसे अच्छा तरीका है नीम की दातुन! नीम की दातुन को रात को पानी में रख दे! जिससे वह नरम हो जायेगी! और सुबह उठ कर इसे चबाकर टूथब्रश का कार्य लिया जा सकता है! मसूढ़ों, दातो, जिव्हा को इससे साफ़ करने से काफी लाभ मिलता है! 
नीम की दातुन
अगर आप नीम की दातुन को इस्तेमाल नहीं कर सकते तो आप टूथब्रश से ही अपने दांतो को अच्छे से साफ़ करे! ज्यादातर लोग दांतो को ब्रश से सही से साफ़ नहीं करते! हमें सप्ताह में 2 या 3 दिन अपने ब्रश को तपते गर्म पानी में रखकर धोना चाहिए! हमेशा ब्रश करने के तुरंत बाद ब्रश को बाथरूम में नहीं रखना चाहिए! ब्रश को इस्तेमाल करने के तुरंत बाद उसे किसी खुले स्थान तथा साफ़ जगह पर रखना चाहिए जहा पर यह अच्छे तरीके से सुख जाए! और भी अच्छा होगा अगर हम इसे धुप में रख दे तो! (क्योकि ब्रश को तुरंत इस्तेमाल करने के बाद बाथरूम में रखने से खतरनाक रोगकारी कीटाणु इसमें अपना घर बना लेते है और रोज जब हम उस ब्रश को रोज इस्तेमाल करते है तो वह कीटाणु हमारे मुख के दवारा हमारे शरीर में प्रवेश कर लेते है! जिससे हमे बहुत से रोगो से जूझना पड़ता है!) और आपको जानकार हैरानी होगी की मुख की सफाई हमारे हदये के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरुरी है! जिस व्यक्ति के दांतो और जिव्हा पर प्लॉक (plaque) जम जाती है फिर उनके प्लॉक के द्वारा उनके शरीर में भी प्रवेश कर जाती है जो रक्त में मिल जाते है! जिसके कारण हदये रोग होते हैइसलिए हमारे लिए मुख की सफाई बहुत जरुरी है! रोज जिव्हा और दांतो को अच्छी तरह साफ़ करना चाहिए! और गरम पानी को मुँह में भरकर उससे अच्छी तरह गरारे करना चाहिए! और आँखों को अच्छे साफ़ पानी से धोये या गुलाब जल से भी धो सकते है! इन इन्द्रियों को साफ़ करने से शरीर में सक्रियता उत्पन्न होगी!
- शरीर की मालिस:
इसके पश्चात शरीर पर तिल, तेल, अथवा नारियल या सरसो के तेल से शरीर की अच्छी तरह मालिस करनी चाहिए! 
तिल, तेल,
इसे वात का आगमन होता है! जिससे शरीर की त्वचा और सारे अंगो को पोषण मिलता है! और प्राकर्तिक रूप से झुर्रियों से बचाव होता है तथा इन प्राकर्तिक तेलों में जीवाणु-नाशक गुण होते है! 
- व्यायाम/योगासन:

योग आसन
इसके पश्चात हमें थोड़ा व्यायाम करना चाहिए क्योकि व्यायाम में पावनयुक्त आसनो का अभ्यास बहुत जरूरी है! इससे शरीर के जोड़ो में फसे हुए वात आसानी से निकल जाते है! व्यायाम करना बहुत आसान है ! इसे किसी योग निर्देशक से सिख लेना चाहिए! सूर्ये नमस्कार अथवा अन्य आसन का अभ्यास करने से हमें बहुत से रोगो से मुक्ति मिलती है और हमारा मानसिक स्वास्थ भी अच्छा रहता है!
स्नानम: 
आयुर्वेद में सर के निचे का हिस्सा गर्म गुनगुने पानी से रोजाना स्नान करना बहुत लाभकारी होता है! यदि ग्रीष्म ऋतु है तो ठन्डे पानी से भी स्नान कर सकते है! स्नान करने से न शरीर को शुद्धि मिलती है बल्कि पाचन क्रिया भी हमारी बहुत अच्छी होती है! और सिर को धोने के लिए हमें हमेशा ठन्डे पानी का ही प्रयोग करना चाहिए!
धयान:
स्नान करने के बाद व्यक्ति को कुछ समय के लिए धयान अथवा जप में बिताना चाहिये! इससे हमारे मस्तिक को काफी ऊर्जा मिलती है! इसलिए 15 मिनट तो ध्यान में जरूर बैठना चाहिए! 
ध्यान मन की सूचि
ऋषि मुनियो के अनुसार इस सूचि के बाद ही व्यक्ति को घर से बाहर निकलना चाहिए! जिससे व्यक्ति का व्यवहार उत्तम और कार्य मंगलमय होता है! इसके बाद हमें शुद्ध, पौष्टिक, स्वादिस्ट हल्का नास्ता कर लेना चाहिए! क्योकी नाश्ता करना बहुत आवश्यक है! क्योकि यह सुबह का हमारा प्रथम आहार होता है!
दोपहर का भोजन:  
सुबह के नाश्ते के 4-5 घंटे बाद दोपहर के भोजन की बारी आ जाती है! आयुर्वेद के अनुसार यह दिन का सबसे प्रमुख भोजन होता है! इस समय का भोजन काफी पौष्टिक और ऊर्जादायी होना चाहिए! इसे ग्रहण करने के बाद व्यक्ति को जरूर टहल लेना चाहिए! और यह समय ईश्वर आराधना, जप का विशेष महत्व है!
रात्रि का भोजन: 
रात्रि का भोजन आयुर्वेद के अनुसार 6 से 8 बजे के बिच में हो जाना चाहिए! और इसके पश्चात टहलना काफी आवश्यक है! इससे भोजन आसानी से पचता है और हमारी पाचन क्रिया अच्छी रहती है!
शयन: 
आयुर्वेद के अनुसार हमें रात्रि के दूसरे पहर में शयन के लिए बिस्तर पर लेट जाना चाहिए! यह समय रात्रि के 10 बजे होता है! उससे पहले अपने परिवार वालो के साथ सुन्दर समय बिताये और मनोरंजक दृश्ये या मधुर संगीत सुन ले! जिससे मन शांत व् विश्रामित हो जाता है! और सोने से 10-15 मिनट पहले ईश्वर की प्राथना जरूर करे!


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Thursday 20 April 2017

Aayurved kya hai?

आयुर्वेद क्या है?


आयुर्वेद प्राचीन भारत में चिकित्सा की प्रयोग करने वाली पद्धति है! और इसमें कोई भी रोग हो उसे जड़ से ख़तम किया जाता है! आयुर्वेद का प्रयोग 2000 से 5000 वर्ष पूर्व ऋषि मुनि और ज्ञानियों द्वारा लोगो को निरोग करने में किया जाता था! और यह आज कल की चिकित्सा से बहुत ज्यादा असरदार और लाभदायक है! यह शरीर का विकास और अनेक रोगो को दूर रखता हे जिसमे हमारी मानसिक स्वस्थ का ज्यादा महत्व है! अगर हम आयर्वेदिक उपाए अपना ले तो हम खुद को और अपने देश को रोग मुक्त कर सकते है!